मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥
शिव भजन
दिल्ली के प्रसिद्ध हनुमान बालाजी मंदिर
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
मंत्र महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि
अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने more info की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
Chanting of Shiva Chalisa is finished from the devotees in an effort to be sure to and get the blessings of their Shiv chaisa beloved deity – Lord Shiva.